दर्प (संज्ञा)
अपने आपको औरों से बहुत अधिक योग्य, समर्थ या बढ़कर समझने का भाव।
बेकसूर (विशेषण)
जो अपराधी न हो।
निमंत्रण (संज्ञा)
मंगल कार्यों आदि में सम्मिलित होने के लिए मित्रों, संबंधियों आदि को अपने यहाँ बुलाने की क्रिया।
सभा (संज्ञा)
किसी विषय विशेष पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई बैठक।
सज्जनता (संज्ञा)
सज्जन होने का भाव।
नामित (विशेषण)
जिसका किसी काम या पद के लिए नाम लिखा गया हो।
दानपत्र (संज्ञा)
वह लेख या पत्र जिसके द्वारा कोई संपत्ति किसी को सदा के लिए दान रूप में दी जावे।
निर्माण (संज्ञा)
रचने या बनाने की क्रिया या भाव।
स्तुति (संज्ञा)
किसी वस्तु, व्यक्ति, आदि या उनके गुणों या अच्छी बातों के संबंध में कही हुई आदरसूचक बात।
दोषरहित (विशेषण)
जिसमें कोई दोष न हो।