अर्थ : शरीर शास्त्र के अनुसार हृदय के उन दो बड़े कोष्ठों में से एक जो नीचे की ओर होता है और जो दो भागों में बँटा होता है तथा जिससे शुद्ध रक्त शरीर के सभी भागों में भेजा जाता है।
उदाहरण :
अलिंद और निलय के बीच छिद्र होता है।
पर्यायवाची : निलय, वेन्ट्रिकल
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