अर्थ : व्रत का अभाव।
उदाहरण :
कोई तपस्या अव्रत फलित नहीं होती है।
अर्थ : जैन मतानुसार व्रत का त्याग।
उदाहरण :
उसने अव्रत करने की ठान ली है।
अर्थ : जिसका व्रत खंडित हो गया हो।
उदाहरण :
अव्रत व्यक्ति बहुत दुखी था।