अर्थ : साहित्य में एक अर्थालंकार जिसमें किसी कार्य या वस्तु के उत्कर्ष का कोई ऐसा कारण मान लिया जाता है जो वास्तव में उसका कारण नहीं होता।
उदाहरण :
चंदन लगाने के कारण ही वह बहुत बड़ा संत हो गया था, में प्रौढ़ोक्ति है।
पर्यायवाची : प्रौढ़ोक्ति