अर्थ : (जीवविज्ञान) जीव का वर्गीकरणात्मक वर्ग जिसमें एक या एक से अधिक प्रजातियाँ हों।
उदाहरण :
मेढक का वैज्ञानिक नाम राना टिग्रीना है जसमें राना मेढक का वंश है।
अर्थ : मनुष्यों और बहुत से जीव-जंतुओं में पीठ के बीच की लम्बी खड़ी हड्डी जिसमें गरदन से लेकर कमर पर की त्रिकास्थि तक माला की तरह गुथी हुई कशेरुकाएँ होती हैं।
उदाहरण :
रीढ़ की हड्डी को सीधी रखने के लिए सीधे बैठें।
पर्यायवाची : अनूक, कंटक-दंड, कंटक-दण्ड, कंटकदंड, कंटकदण्ड, कशेरु दंड, कशेरु दण्ड, कशेरु-दंड, कशेरु-दण्ड, कशेरुक दंड, कशेरुक द्ण्ड, कशेरुक-दंड, कशेरुक-द्ण्ड, कशेरुका दंड, कशेरुका दण्ड, कशेरुका-दंड, कशेरुका-दण्ड, पृष्ठदंड, पृष्ठदण्ड, पृष्ठास्थि, बाँस, बाँसा, मेरु दंड, मेरु दण्ड, मेरु-दंड, मेरु-दण्ड, मेरुदंड, मेरुदण्ड, रीढ़, रीढ़ की हड्डी
अर्थ : युद्ध में प्रयुक्त होनेवाली सामग्री।
उदाहरण :
योधन से लदा वाहन क्षतिग्रस्त हो चुका है।
पर्यायवाची : युद्ध सामग्री, युद्ध-सामग्री, युद्धक साजो-सामान, युद्धसामग्री, योधन
अर्थ : बाहु आदि की लम्बी हड्डियाँ।
उदाहरण :
चोट के कारण उसके वंश में दरार पड़ गई है।
अर्थ : खड्ग के मध्य का भाग।
उदाहरण :
वंश ऊँचा होता है।
अर्थ : एक प्रकार की ईख।
उदाहरण :
तुम आज वंश में पानी अवश्य दे देना।
अर्थ : बारह हाथ का एक मान।
उदाहरण :
यह कपड़ा एक वंश है।
अर्थ : बाँस का सारभाग जो उसके जल जाने के बाद सफ़ेद टुकड़ों में पाया जाता है।
उदाहरण :
वंशलोचन को औषध के रूप में प्रयोग किया जाता है।
पर्यायवाची : तबाशीर, तवक्षीर, तीक्ष्णक्षीरी, तीष्णक्षीरी, तुंगा, त्वगाक्षीरी, बंशलोचन, बंसलोचन, वंशरोचना, वंशलोचन, वंशशर्करा, वंशाहू, वंशी, शुक्रा, शुभ्र, शुभ्रा, श्वेता
अर्थ : हिन्दुओं के एक प्रमुख देवता जो सृष्टि का पालन करने वाले माने जाते हैं।
उदाहरण :
राम और कृष्ण विष्णु के ही अवतार हैं।
पर्यायवाची : अंबरीष, अक्षर, अच्युत, अनीश, अन्नाद, अब्धिशय, अब्धिशयन, अमरप्रभु, अमृतवपु, अम्बरीष, अरविंद नयन, अरविन्द नयन, अरुण-ज्योति, अरुणज्योति, असुरारि, इंदिरा रमण, कमलनयन, कमलनाभ, कमलनाभि, कमलापति, कमलेश, कमलेश्वर, कुंडली, कुण्डली, केशव, कैटभारि, खगासन, खरारि, खरारी, गजाधर, गरुड़गामी, गरुड़ध्वज, चक्रधर, चक्रपाणि, चक्रेश्वर, चिरंजीव, जगदीश, जगदीश्वर, जगद्योनि, जगन्, जनार्दन, जनेश्वर, डाकोर, त्रिलोकीनाथ, त्रिलोकेश, त्रिविक्रम, दम, दामोदर, देवाधिदेव, देवेश्वर, धंवी, धन्वी, धातृ, धाम, नारायण, पद्म-नाभ, पद्मनाभ, पुंडरीकाक्ष, फणितल्पग, बाणारि, बैकुंठनाथ, मधुसूदन, महाक्ष, महागर्भ, महानारायण, महाभाग, महेंद्र, महेन्द्र, माधव, माल, रत्ननाभ, रमाकांत, रमाकान्त, रमाधव, रमानाथ, रमानिवास, रमापति, रमारमण, रमेश, लक्ष्मीकांत, लक्ष्मीकान्त, लक्ष्मीपति, वर्द्धमान, वर्धमान, वसुधाधर, वारुणीश, वासु, विधु, विभु, विश्वंभर, विश्वकाय, विश्वगर्भ, विश्वधर, विश्वनाभ, विश्वप्रबोध, विश्वबाहु, विश्वम्भर, विष्णु, वीरबाहु, वैकुंठनाथ, व्यंकटेश्वर, शतानंद, शतानन्द, शारंगपाणि, शारंगपानि, शिखंडी, शिखण्डी, शुद्धोदनि, शून्य, शेषशायी, श्रीकांत, श्रीकान्त, श्रीनाथ, श्रीनिवास, श्रीपति, श्रीरमण, श्रीश, सत्य-नारायण, सत्यनारायण, सर्व, सर्वेश्वर, सहस्रचरण, सहस्रचित्त, सहस्रजित्, सारंगपाणि, सुप्रसाद, सुरेश, स्वर्णबिंदु, स्वर्णबिन्दु, हरि, हिरण्यकेश, हिरण्यगर्भ, हृषिकेश, हृषीकेश