अर्थ : हठयोग के अनुसार मानव शरीर के भीतर के सात चक्रों में का सातवाँ चक्र।
उदाहरण :
सहस्रार को मस्तिष्क में अवस्थित माना गया है।
पर्यायवाची : सहस्रार चक्र
अर्थ : जैनियों के बारहवें स्वर्ग का नाम।
उदाहरण :
पुन्यात्मा ही सहस्रार में जाने के अधिकारी होते हैं।